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भौंरासा में लकड़ी माफियाओं का जंगलराज! आरा मशीनों पर अवैध लकड़ियों का अंबार,

वन विभाग की चुप्पी और मिलीभगत से चल रहा अवैध लकड़ी का धंधा

संवाददाता नागेंद्र सिंह राजपूत देवास

देवास। भौंरासा क्षेत्र में इन दिनों लकड़ी माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। आसपास के हरे-भरे जंगलों को काटकर प्रतिदिन 407 वाहन लकड़ी लेकर भौंरासा की आरा मशीनों तक पहुंच रहे हैं, जो अब खुलेआम अवैध लकड़ियों के गोदाम बन चुकी हैं।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन आरा मशीनों से हर महीने हजारों रुपए की उगाही होती है, लेकिन वन विभाग के अधिकारी पूरी तरह खामोश हैं। नियमों के अनुसार आरा मशीनों पर हर लकड़ी का हिसाब-किताब दर्ज करना अनिवार्य है और समय-समय पर निरीक्षण होना चाहिए, लेकिन यहाँ न तो स्टॉक रजिस्टर मेंटेन किया जा रहा है और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई हो रही है। इन आरा मशीनो पर प्रतिबंधित लकड़ियों का अंबार देखने को मिल जाएगा।
चौंकाने वाली बात: जिले में सबसे अधिक आरा मशीनें भौंरासा में संचालित हैं, लेकिन वन विभाग और प्रशासन का ध्यान अभी तक नहीं गया। बिट प्रभारी और डिप्टी रेंजर तक कथित रूप से आँखें बंद किए हुए हैं। या कहे कि उनकी सह पर ये अवैध रूप से आरा मशीनो पर लकड़ियों का अंबार लग रहा है। वैसे वन विभाग में हर बिट में अलग अलग प्रभारी और नाकेदार तैनात है। कहा जा रहा है कि इनकी सहमति से ही अवैध लकड़ी का अंबार बन रहा है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो कुछ ही वर्षों में भौंरासा के जंगल सिर्फ नक्शों में ही रह जाएंगे।
वन विभाग की चुप्पी पर बड़ा सवाल — क्या यह केवल लापरवाही है या कुछ अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा?
भौंरासा का जंगल अब माफियाओं के हाथों में — और प्रशासन की निष्क्रियता इसे लगातार बढ़ावा दे रही है।

“आरा मशीनो से चिरान कर तैयार माल”

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