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अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई करने वाले वन रक्षक को बना दिया आरोपी, वनकर्मियों में आक्रोश

वन अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने पर वन रक्षक पर झूठा मामला दर्ज, वनकर्मियों में रोष



संवाददाता नागेंद्र सिंह राजपूत

देवास। वन अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करना वन रक्षक को भारी पड़ गया। अभ्यारण्य क्षेत्र में चल रहे निरीक्षण के दौरान अवैध अतिक्रमण पकड़ने के बाद न केवल वन रक्षक पर हमला किया गया, बल्कि उसके विरुद्ध झूठा प्रकरण भी दर्ज करवा दिया गया। इस घटना से वन विभाग के कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। मंगलवार को वन कर्मचारी संघ द्वारा जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं वन मंडलाधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई। वन कर्मचारी संघ के अनुसार, दिनांक 14 जून को वन सीमा सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत वन रक्षक शशिकांत जाटव द्वारा कक्ष क्रमांक 202 (आरक्षित वन भूमि) का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने ग्राम कालीबाई निवासी राकेश बामणिया को 0.69 हेक्टेयर वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण करते हुए पाया। जब श्री जाटव ने कानूनी कार्रवाई प्रारंभ की, तो राकेश, उसकी पत्नी भगवतीबाई और मां सोमीबाई ने उन्हें गाली-गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी। बीट गार्ड द्वारा दल बुलाकर मौके पर वन अपराध प्रकरण क्रमांक 44959/19 पंजीबद्ध किया गया। लेकिन इसके बाद अतिक्रमणकर्ताओं ने वन विभाग की टीम पर पथराव कर दिया और वन रक्षक के साथ मारपीट की। इस घटना की रिपोर्ट तत्काल हरणगांव थाना में दर्ज की गई। वन विभाग का आरोप है कि अगले ही दिन राजनीतिक दबाव डालते हुए श्री जाटव के खिलाफ ही झूठा मामला दर्ज करवा दिया गया, जिससे वनकर्मियों में भारी असंतोष व्याप्त है।
वनकर्मियों का कहना है कि जब अधिकारी वन्य जीवों, पर्यावरण और जनसुरक्षा के लिए कार्य कर रहे हों, तो उनके विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई न केवल निंदनीय है बल्कि गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि जंगल सिकुड़ते वासस्थलों और बढ़ते मानव-वन्य जीव संघर्ष की समस्या से जूझ रहे हैं, ऐसे में ईमानदार वनकर्मियों को सुरक्षा देना आवश्यक है।

वन कर्मचारी संघ ने चार प्रमुख मांगे रखीं:

1. शशिकांत जाटव पर दर्ज झूठा प्रकरण तत्काल रद्द किया जाए।
2. राकेश बामणिया एवं उसके साथियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. घटना की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए।
4. राज्य सरकार ईमानदार वनकर्मियों की सुरक्षा हेतु दिशा-निर्देश जारी करे।

संघ का कहना है कि यदि इन मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो यह न केवल संरक्षण कार्यों को प्रभावित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक असुरक्षित पर्यावरण छोड़ जाएगा।

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