
संवाददाता नागेंद्र सिंह राजपूत देवास
देवास। टोंकखुर्द तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत पोलाय में आंगनवाड़ी भवन के निर्माण को लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया है। शासन द्वारा पहले से स्वीकृत स्थल को ग्रामीणों की आपत्ति के बाद निरस्त कर दिया गया था, इसके बावजूद ग्राम पंचायत सरपंच के पुत्र द्वारा शासन के निर्देशों की अवहेलना कर मनमर्जी से उस स्थान पर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जिस स्थान पर वर्तमान में भवन निर्माण कराया जा रहा है, वह स्थान ग्राम से लगभग एक किलोमीटर दूर है तथा वहां तक पहुंचना कठिन है। उक्त स्थान पर जाने के लिए नाला भी पड़ता है। जिससे बरसात के दिनों में जलभराव और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। यही कारण है कि ग्रामीणों ने उस स्थान पर निर्माण को लेकर पूर्व में ही आपत्ति दर्ज करवा दी थी, जिसके बाद शासन ने स्वीकृति को निरस्त भी कर दिया था।
शासन के स्पष्ट आदेशों और तकनीकी स्वीकृति के अभाव के बावजूद सरपंच पुत्र फिरोज द्वारा मनमाने ढंग से निर्माण कार्य जारी रखा गया है। इससे ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है।
इस प्रकरण में ग्रामवासी वहीद पटेल ने थाना टोंकखुर्द में शिकायत दर्ज कराई है कि सरपंच पुत्र ने उन्हें शिकायत दर्ज कराने के चलते जान से मारने की धमकी दी, गाली-गलौज की और मारपीट तक की। साथ ही, शिकायत वापस लेने के लिए लगातार दबाव भी बनाया जा रहा है।
शिकायतकर्ता वहीद पटेल ने जिला पंचायत सीईओ को पत्र सौंपकर इस अवैध निर्माण पर रोक लगाने, निष्पक्ष जांच कराने तथा स्वयं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
ग्रामवासियों द्वारा प्रशासन को सौंपे गए पंचनामे में भी उल्लेख किया गया है कि जिस स्थान पर निर्माण कराया जा रहा है, वह अनुचित है।
महिला एवं बाल विकास विभाग का स्पष्टीकरण
महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी ने भी पत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि वर्तमान में जहां निर्माण कार्य चल रहा है, वह स्थान ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तावित तो है, परंतु ग्रामीणों की असहमति और प्रशासनिक दृष्टिकोण से उस स्थान की स्वीकृति निरस्त कर दी गई है।
इस पूरे मामले में प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता से ग्रामीणों में आक्रोश है। उनका कहना है कि जब शासन ने स्पष्ट रूप से स्वीकृति को निरस्त कर दिया है, तब अवैध निर्माण कैसे जारी है?
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए, निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोका जाए तथा शिकायतकर्ता को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि शासन के आदेशों की अनदेखी न कर सके।





